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खरमास

प्रश्न: खरमास क्या है? यह शुभ है या अशुभ? ये कब से शुरू हुआ है और कब खत्म होगा? -विनय अग्रवाल उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि सूर्य हर राशि में एक-एक महीने रहता है। ये जब धनु राशि में आता है, तो यह माह खरमास कहलाता है। सूर्य के मकर में गोचर के साथ खरमास का अंत होता है। सूर्य के मकर में गोचर को मकर संक्रांति कहते हैं। यह मास आत्मिक जागरण के लिए उत्तम है।  खरमास में मंगल कार्यों जैसे यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन, नामकरण संस्कार, नवीन कर्म/ करियर/ दुकान/ कार्यालय के शुभारंभ का निषेध बताया गया है। हालांकि, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिलता।  दान-पुण्य करें।  जप-तप करें।  इस माह मंत्र जप का विशेष महत्व होता है। इस माह तीर्थ यात्रा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। नियमित सूर्यदेव को जल-अर्घ्य दें और उनकी पूजा-अर्चना करें। खरमास में ब्राह्मण, गाय, गुरु और साधु-संतों की सेवा करनी चाहिए। 16 दिसंबर 2023 को धनु संक्रांति से खरमास शुरू हो रहे हैं जिसका समापन मकर संक्रांति पर 15 जनवरी 2024 को होगा. खरमास की अवधि एक महीने की होती है, शास्त्रों से अनुसार ये बेह...

ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के स्वामी ग्रह इस प्रकार हैं:

ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों के स्वामी ग्रह इस प्रकार हैं: 1️⃣ अश्विनी - केतु 2️⃣ भरणी - शुक्र 3️⃣ कृतिका - सूर्य 4️⃣ रोहिणी - चंद्रमा 5️⃣ मृगशिरा - मंगल 6️⃣ आर्द्रा - राहु 7️⃣ पुनर्वसु - गुरु 8️⃣ पुष्य - शनि 9️⃣ आश्लेषा - बुध 🔟 मघा - केतु 1️⃣1️⃣ पूर्वाफाल्गुनी - शुक्र 1️⃣2️⃣ उत्तराफाल्गुनी - सूर्य 1️⃣3️⃣ हस्त - चंद्रमा 1️⃣4️⃣ चित्रा - मंगल 1️⃣5️⃣ स्वाति - राहु 1️⃣6️⃣ विशाखा - गुरु 1️⃣7️⃣ अनुराधा - शनि 1️⃣8️⃣ ज्येष्ठा - बुध 1️⃣9️⃣ मूल - केतु 2️⃣0️⃣ पूर्वाषाढ़ा - शुक्र 2️⃣1️⃣ उत्तराषाढ़ा - सूर्य 2️⃣2️⃣ श्रवण - चंद्रमा 2️⃣3️⃣ धनिष्ठा - मंगल 2️⃣4️⃣ शतभिषा - राहु 2️⃣5️⃣ पूर्वाभाद्रपद - गुरु 2️⃣6️⃣ उत्तराभाद्रपद - शनि 2️⃣7️⃣ रेवती - बुध

पितृपक्ष में श्राद्ध-सन् 2024 ई. (आश्विन कृष्ण पक्ष में श्राद्ध तिथियों का निर्णय)

पितृपक्ष में श्राद्ध-सन् 2024 ई.  (तिथियों का निर्णय) आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। पित्रों को श्रद्धापूर्वक भोजन देने के कारण ही इस पक्ष को 'पितृपक्ष' कहा जाता है। पित्रों के निमित्त श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण ही इसका एक नाम 'श्राद्ध' भी है। श्राद्ध पक्ष को 'महालय' के नाम से भी जाना जाता है। पूरा ग्रन्थों में ऐसा वर्णन मिलता है कि पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- तर्पण एवं श्राद्धकर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है और उनके वंशजों को स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है। अतः हमें श्रद्धापूर्वक श्राद्ध अवश्य करनी चाहिए। सामान्य रूप से पितृपक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अश्विनी कृष्ण अमास्या (पितृमोक्षनी अमावस्या) तक 16 दिन के होते हैं। तिथि गणनाओं से तिथि के घटने और बढ़ने से इनके दिनों की संख्या में परिवर्तन हो सकता है।  इस बार एक तिथि का क्षय होने के कारण पित्र पक्ष 15 दिन के रहेगे।  इस बात क...

महत्त्वपूर्ण वास्तु सूत्र

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महत्त्वपूर्ण वास्तु सूत्र याद रखें ! ★ चूल्हा, गैस स्टोव, हीटर या ओवन जैसी अग्नि उत्पन्न करनेवाली चीजें रसोईघर की पूर्वी दीवार के पास थोड़ी जगह छोड़कर पूर्व में ही रखी जानी चाहिए। ये वस्तुएं इसी तरह से रखें कि रसोई बनानेवाले का मुंह पूर्व दिशा में रहे। ★ पश्चिम या दक्षिण की तरफ मुंह करके रसोई बनानेवाली गृहिणियों का स्वास्थ्य बार-बार बिगड़ता है। शरीर में दुर्बलता महसूस होती है। स्फूर्ति एवं उत्साह की कमी रहती है। मन भी अशांत रहता है। परिवार में दरिद्रता का आगमन होता है। रसोई बनाते समय प्रसन्नचित्त रहना अनिवार्य है। पूर्व की 1 तरफ मुंह रखकर रसोई बनाने से लाभ होता है। ★ रसोईघर में जलव्यवस्था ईशान्य में नहीं करनी चाहिए। हां, वॉशबेसिन ईशान्य की ओर रखा जा सकता है। ★ घर का बेकार सामान झाडू, लकड़ियां आदि नैऋत्य में रखी जाएं। ★ आंगन की सफाई करने के बाद कूड़ा-कचरा तुरंत दूर फेंक देना चाहिए। डोर बैल, आटा पीसने की घरेलू मशीन, फ्रीज आदि वजनदार सामान पश्चिम-नैऋत्य या दक्षिण-नैऋत्य में रखें। ★ अलमारी, तिजोरी, लोहे की अलमारियां उत्तर की तरफ खुलें ऐसी व्यवस्था की जाए। ये चीजें पूर्वोन्मुखी भी रखी जा सक...