हिन्दू काल गणना
हिन्दू काल गणना प्राचीन हिन्दू धार्मिक और पौराणिक वर्णित समय चक्र आश्चर्यजनक रूप से एक समान हैं। प्राचीन भारतीय मापन पद्धतियां, अभी भी प्रयोग में हैं (मुख्यतः मूल सनातन हिन्दू धर्म के धार्मिक उद्देश्यों में)। वर्ष के हिन्दू पंचांग का एक पृष्ठ हिन्दू समय मापन, लघुगणकीय पैमाने पर इसके साथ साथ ही हिन्दू वैदिक ग्रन्थों मॆं लम्बाई-क्षेत्र-भार मापन की भी इकाइयाँ परिमाण सहित उल्लेखित हैं।यह सभी योग में भी प्रयोग में हैं। हिन्दू समय चक्र सूर्य सिद्धांत के पहले अध्याय के श्लोक 11–23 में आते हैं। [1] : (श्लोक 11) वह जो कि श्वास (प्राण) से आरम्भ होता है, यथार्थ कहलाता है; और वह जो त्रुटि से आरम्भ होता है, अवास्तविक कहलाता है। छः श्वास से एक विनाड़ी बनती है। साठ विनाड़ियों से एक नाड़ी बनती है। (12) और साठ नाड़ियों से एक दिवस (दिन और रात्रि) बनते हैं। तीस दिवसों से एक मास (महीना) बनता है। एक नागरिक (सावन) मास सूर्योदयों की संख्याओं के बराबर होता है। (13) एक चंद्र मास, उतनी चंद्र तिथियों से बनता है। एक सौर मास स...