भारतीय व्रत उत्सव | 23 | नवरात्र
भारतीय व्रत उत्सव | 23 | नवरात्र नवरात्र समय आश्विन शु० १ से १ तक और चैत्र शु० १ से १ तक । कालनिर्णय नवरात्र का आरम्भ आश्विन शुक्कु पतिपदा और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होता है। जिस दिन प्रतिपदा ६ घड़ी से कम न हो उस दिन इसका आरम्भ करना चाहिए। यदि ६ घड़ी न मिले तो कम-से-कम दो घड़ी प्रतिपदा अवश्य होनी चाहिए। अमावस्या से युक्त प्रतिपदा का नवरात्रारम्भ में निषेध है, परन्तु यदि प्रतिपदा का क्षय हो जाय अथवा दूसरे दिन प्रतिपदा दो घड़ी से भी कम हो तो अमावस्या के साथ की प्रतिपदा भी ली जा सकती है। यद्यपि प्रतिपदा के आरम्भ की १६ घड़ियों का तथा चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग का भी निषेध है, तथापि धर्म-• सिन्धुकार का यह मत है कि इस नियम का मध्याह्न तक ही पालन करना चाहिए। यदि मध्याह्न तक भी उक्त दोष रहे तो अपराह्न या रात्रि में प्रारम्भ न करके मध्याह्न में ही आरम्भ करना चाहिए । विधि प्रतिपदा के दिन प्रातःकाल अभ्यङ्गस्नानादि करके नवरात्र में जिन नियमों का पालन करना हो उनका संकल्प करे। फिर जैसा कुलाचार हो उसके अनुसार ब्राह्मण को बुलाकर अथवा स्वयं स्नान संध्या से निवृत्त होकर मृत्तिका की बे...