मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच की अवस्थाएँ:
आपका प्रश्न अत्यंत गूढ़ और दार्शनिक है। भारतीय संस्कृति में जहाँ जन्म और मृत्यु के बीच के जीवन का विस्तृत विवरण धर्म, इतिहास और साहित्य में मिलता है, वहीं मृत्यु और अगले जन्म के बीच की अवस्थाओं (interlife) का विवरण भी हमारे प्राचीन शास्त्रों, उपनिषदों, पुराणों और योग-ग्रंथों में मिलता है। नीचे एक लेख प्रस्तुत है जो इस विषय को विस्तार से स्पष्ट करता है, जिसमें संस्कृत श्लोकों का भी उपयोग किया गया है: मृत्यु और पुनर्जन्म के बीच की अवस्थाएँ: भारतीय दृष्टिकोण प्रस्तावना भारतीय दर्शन में मानव जीवन की यात्रा केवल जन्म से मृत्यु तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक चक्र है— जन्म-मृत्यु-पुनर्जन्म । मृत्यु केवल जीवन का अंत नहीं, बल्कि आत्मा की एक स्थिति से दूसरी स्थिति में गति है। यह यात्रा, जिसे अन्तराभाविक स्थिति कहा गया है, वैदिक साहित्य, उपनिषदों, गीता, गरुड़ पुराण आदि में वर्णित है। 1. मृत्यु के तुरंत बाद: सूक्ष्म शरीर की यात्रा जब मनुष्य की मृत्यु होती है, तो उसका स्थूल शरीर पंचमहाभूतों में विलीन हो जाता है, परंतु आत्मा सूक्ष्म शरीर के साथ पृथ्वी से प्रस्थान करती है। उपनिषदों में उल्लेख...