पितृपक्ष में श्राद्ध-सन् 2024 ई. (आश्विन कृष्ण पक्ष में श्राद्ध तिथियों का निर्णय)
पितृपक्ष में श्राद्ध-सन् 2024 ई. (तिथियों का निर्णय) आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है। पित्रों को श्रद्धापूर्वक भोजन देने के कारण ही इस पक्ष को 'पितृपक्ष' कहा जाता है। पित्रों के निमित्त श्रद्धापूर्वक किए जाने के कारण ही इसका एक नाम 'श्राद्ध' भी है। श्राद्ध पक्ष को 'महालय' के नाम से भी जाना जाता है। पूरा ग्रन्थों में ऐसा वर्णन मिलता है कि पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना रखते हुए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ- तर्पण एवं श्राद्धकर्म करना नितान्त आवश्यक है। इससे पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है और उनके वंशजों को स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख- शान्ति, वंशवृद्धि एवं उत्तम सन्तान की प्राप्ति होती है। अतः हमें श्रद्धापूर्वक श्राद्ध अवश्य करनी चाहिए। सामान्य रूप से पितृपक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अश्विनी कृष्ण अमास्या (पितृमोक्षनी अमावस्या) तक 16 दिन के होते हैं। तिथि गणनाओं से तिथि के घटने और बढ़ने से इनके दिनों की संख्या में परिवर्तन हो सकता है। इस बार एक तिथि का क्षय होने के कारण पित्र पक्ष 15 दिन के रहेगे। इस बात क...