खरमास
- दान-पुण्य करें।
- जप-तप करें।
- इस माह मंत्र जप का विशेष महत्व होता है।
- इस माह तीर्थ यात्रा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- नियमित सूर्यदेव को जल-अर्घ्य दें और उनकी पूजा-अर्चना करें।
- खरमास में ब्राह्मण, गाय, गुरु और साधु-संतों की सेवा करनी चाहिए।
खरमास क्यों लगते हैं ? (Kharmas Katha)
जब सूर्य गुरु की राशि में होते हैं तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है, जो शुभ कामों के लिए वर्जित है. इसके पीछे पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव सदा अपने 7 घोड़ों पर सवार होकर गतिमान रहते हैं. सूर्य देव कभी रुकते नहीं, वह निरंतर ब्रह्माण की परिक्रमा लगाते हैं, यही वजह है कि समस्त प्रकृति गतिशील रहती है. धर्म ग्रंथ के अनुसार सूर्य क्षणभर के लिए भी रुक नहीं सकते क्योंकि अगर वह गतिहीन हो गए तो जनजीवन उथल-पुथल हो जाएगा.
सूर्य ने रथ में ‘खर’ को किया शामिल
कथा के अनुसार एक बार सूर्य अपने रथ पर सृष्टि की परिक्रमा लगा रहे थे तब हमेंत ऋतु में उनके घोड़े थक गए, पानी की तलाश में वह एक तालाव किनारे रुक गए लेकिन सूर्य देव का गतिमान रहना जरुरी था नहीं तो संसार में सकट आ जाता है. ऐसे में उन्होंने तालाब किनारे खड़े दो खर यानी कि गधों को अपने रथ में जोड़ लिया और दोबारा परिक्रमा के लिए चल दिए.
जब रथ में गधों को जोड़ा गया तो रथ की गति काफी धीमी हो गई लेकिन जैसे तैसे करके एक मास का चक्र पूरा हुआ और इस दौरान सूर्य देवता के घोड़ों ने आराम से विश्राम कर लिया. कहा जाता है कि, एक महीना पूरा होने के बाद सूर्य देव ने दोबारा अपने घोड़ों को रथ में लगा लिया और अब यही क्रम पूरे साल भर चलता रहता है और इसी समय को खरमास कहा जाता है.
खरमास में क्यों अशुभ माने गए हैं मांगलिक कार्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मांगलिक कार्य शादी विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि काम बृहस्पति की शुभ स्थिति पर विचार किया जाता है. लेकिन सूर्य देव जब बृहस्पति की राशि में धनु या मीन में प्रवेश करते हैं तो बृहस्पति का प्रभाव कम हो जाता है. वहीं सूर्य की गति भी धीमी होती है.यही वजह है कि खरमास में शुभ कार्य पर रोक लग जाती है, क्योंकि इसके परिणाम शुभ नहीं होते.
खरमास में न करें ये काम-
- गृह निर्माण का कार्य नहीं करवाना चाहिए।
- नए व्यापार या कार्य की शुरुआत न करें
- खरमास में मुंडन, जनेऊ समेत सभी मागंलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
- खरमास में शादी-विवाह या सगाई से जुड़ा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
खरमास क्या है ?
खरमास की अवधारणा भारतीय पारंपरिक पञ्चाङ्ग या कैलेंडर से सम्बद्ध है। इसे सनातन या हिन्दू से सम्बंधित भी कहा जा सकता है।
राशियों की कुल संख्या बारह है :- मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। सूर्य प्रत्येक राशि में १ महीने रहते हैं और उसे सौरमास कहा जाता है। १२ राशियों के आधार पर १२ मास या महीना भी होता है। राशियों के स्वामी इस प्रकार हैं :
- मेष और वृश्चिक - मंगल।
- वृष और तुला - शुक्र।
- मिथुन और कन्या - बुध।
- कर्क - चंद्र।
- सिंह - सूर्य।
- धनु और मीन - गुरु।
- मकर और कुम्भ - शनि।
धनु और मीन गुरु की राशि है। गुरु की राशि अर्थात् धनु और मीन में जब सूर्य रहते हैं तो वह मास खरमास कहलाता है। जब सूर्य धनु राशि में हों तो पौष मास होता है। जब सूर्य मीन राशि में हों तो पौष मास होता है। अर्थात पौष व चैत्र दोनों सौरमास खरमास कहलाता है। अन्य प्रचलित कथा के अनुसार इस महीने सूर्य के रथ में खर (गदहा) जुड़ा रहता है। क्योंकी थका हुआ घोड़ा विश्राम करता है। चूंकि सूर्य के रथ को खर खींचता है इसलिए इस मास को खर-मास कहते हैं। गुरु गृह में होने से सूर्य का तेज मंद हो जाता है। समस्त सृष्टि, जीवन, के मुख्य आधार सूर्य ही हैं। समस्त शुभ/मांगलिक कार्यों का सम्पादन भी सूर्य की स्थिति के आधार पर ही किया जाता है अतः जब सूर्य मंद होते हैं तो किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य निषिद्ध हो जाता है।
खरमास में वर्जित कार्य की पूरी लिस्ट
खरमास में सभी तरह के मांगलिक कार्य निषिद्ध या वर्जित हैं। मांगलिक कार्यों में उपनयन-विवाहादि एवं नये कार्यों का आरम्भ एवं प्रवेश; गृहारम्भ, ग्रहप्रवेश, वधूप्रवेश आदि कार्य वर्जित हैं। पूजा-कथा मांगलिक कार्यों में नहीं आता है।
1 – कोई भी विवाह सम्बन्धी, चाहे रिश्ता पक्का करना या देखने दिखाने का कार्य आपको नहीं करना है।
2 – वाहन, घर, जमीन, गहने आपको नहीं खरीदने है।
3 – कोई मांगलिक कार्य जैसे बच्चे का मुंडन, नामकरण, गृहप्रवेश या घर में कोई पूजा जैसे सत्यनारायण की पूजा, देवी जागरण इत्यादि जैसे शुभ कार्य आपको नहीं करने है।
4 – आपको नए कपड़ों, जूते चप्पलों की भी खरीदारी नहीं करनी है, अगर आपके पास नए कपडे पहले से रखे भी जो आने अभी तक पहन के देखे नहीं है तो उनको भी खरमास में न पहने।
5 – खरमास में बहु बेटियों की विदाई भी नहीं करनी चाहिए अगर वह मायके में है तो ससुराल ना जाए और ससुराल है तो मायके ना जाए।
6 – कोई भी करियर सम्बन्धी नई नौकरी, या कोई भी नया बिज़नेस आपको इस समय शुरू नहीं करना है।
खरमास में वर्जित कार्य की पूरी लिस्ट
खरमास में मांगलिक कार्य क्यों नहीं करना चाहिये ?
खरमास में गुरु की राशि में स्थित होने के कारण सूर्य मन्द हो जाते हैं अर्थात शुभफल दायकत्व से रहित हो जाते हैं। इसलिये खरमास में किये गये कार्यों में सूर्य द्वारा प्राप्त होने वाला शुभफल प्राप्त नहीं हो सकता। अतः खरमास में मांगलिक कार्यों के लिये शास्त्रों में निषेध किया गया है।
अपवाद : खरमास में वर्जित कार्यों का एक अपवाद भी है। चैत्र माह में खरमास होने पर भी उपनयन किया जा सकता है।
खरमास और मलमास
खरमास और मलमास दोनों पूर्णतः अलग हैं। कुछ लोग दोनों को एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं।
- दान-पुण्य करें।
- जप-तप करें।
- इस माह मंत्र जप का विशेष महत्व होता है।
- इस माह तीर्थ यात्रा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- नियमित सूर्यदेव को जल-अर्घ्य दें और उनकी पूजा-अर्चना करें।
- खरमास में ब्राह्मण, गाय, गुरु और साधु-संतों की सेवा करनी चाहिए।
खरमास में न करें ये काम-
- गृह निर्माण का कार्य नहीं करवाना चाहिए।
- नए व्यापार या कार्य की शुरुआत न करें
- खरमास में मुंडन, जनेऊ समेत सभी मागंलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
- खरमास में शादी-विवाह या सगाई से जुड़ा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए।
अप्रैल माह के शुभ मुहूर्त- अगले माह 18 से 22 के अप्रैल के बीच पांच शुभ लग्न मुहूर्त का योग है। उसके बाद आगे जुलाईⁿ
खरमास की अवधि एक माह की होती है, इसमें मांगलिक कार्य अशुभ माने जाते हैं. क्या आप जानते हैं खरमास क्यों लगते हैं. सूर्य और बृहस्पति से क्या है इसका संबंध. जानें खरमास की कथा
शास्त्रों में तुलसी को बहुत पवित्र और पूजनीय माना गया है. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी होती है वहां लक्ष्मी जी की कृपा सदा बनी रहती है. नियमित रूप से तुलसी की पूजा करने वालों के घर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है.
परिवार में सुख-समृद्धि आती हैहै, लेकिन तुलसी माता तभी शुभ फल प्रदान करती है जब नियमों का पालन किया जाए. 16 दिसंबर 2023 से खरमास शुरू होने वाला है ऐसे में तुलसी से जुड़ी कुछ खास बातों का जरुर ध्यान रखें, नहीं तो लक्ष्मी रूठ जाती है. जानें खरमास में तुलसी पूजा के नियम और विधि.
खरमास में तुलसी पूजा करें या नहीं
सूर्य देव जब धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो एक माह तक खरमास लग जाते हैं. खरमास की अवधि में सारे मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं लेकिन इस दौरान धार्मिक कार्य जारी रहते हैं. ऐसे में खरमास में तुलसी में जल चढ़ाना और शाम को दीपक लगाने से दोषों से मुक्ति मिलता है. मान्यता है कि खरमास ग्रहों के अशुभ प्रभाव बढ़ जाते हैं. में तुलसी की पूजा करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और खुशहाली आती है.
खरमास में तुलसी पूजा में न करें ये गलती
खरमास के महीने में पड़ने वाली एकादशी, मंगलवार और रविवार के दिन तुलसी के पत्ते को न तोड़े, साथ ही इस दिन जल अर्पण भी नहीं करना चाहिए. कहते हैं ऐसा करने से माता लक्ष्मी रूठ जाती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ने लगता है. इसके साथ ही खरमास के दौरान तुलसी में सिंदूर न चढ़ाए.
खरमास 2023 कब से कब तक
16 दिसंबर से खरमास शुरू हो जाएगा। जिसका समापन 14 जनवरी 2024 को होगा. खरमास के दौरान दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
क्या होता है खरमास
सूर्य के धनु या मीन राशि में गोचर करने की अवधि को ही खरमास कहते हैं। सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता और शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं। गुरु सूर्यदेव का गुरु हैं, ऐसे में सूर्यदेव एक महीने तक अपने गुरु की सेवा करते हैं।
खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है, इसे आप 'दुष्टमास' भी कह सकते हैं। इस मास में सूर्य बिलकुल ही क्षीण होकर तेज हीन हो जाते हैं। मार्गशीर्ष और पौष का संधिकाल खरमास को जन्म देता है, मार्गशीर्ष माह का दूसरा नाम 'अर्कग्रहण भी है' जो कालान्तर में अपभ्रंश होकर अर्गहण हो गया। अर्कग्रहण एवं पौष के मध्य ही यह खरमास पड़ता है। इन माहों में सूर्य की किरणें कमज़ोर हो जाती हैं इनके धनु राशि में प्रवेश के साथ ही राशि स्वामी गुरु का तेज भी प्रभावहीन रहता है और उनके स्वभाव में उग्रता आ जाती है।
खरमास पर क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य
गुरु के स्वभाव को भी उग्र कर देने वाले इस माह को खरमास-दुष्टमास नाम से जाना जाता है। देवगुरु बृहस्पति के उग्र अस्थिर स्वभाव एवं सूर्य की धनु राशि की यात्रा और पौष मास के संयोग से बनने वाले इस मास के मध्य शादी-विवाह, गृह आरंभ, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि मांगलिक कार्य शास्त्रानुसार निषेध कहे गए हैं।
इन दिनों सूर्य के रथ के साथ अंशु तथा भग नाम के दो आदित्य, कश्यप और क्रतु नाम के दो ऋषि, महापद्म और कर्कोटक नाम के दो नाग, चित्रांगद तथा अरणायु नामक दो गन्धर्व सहा तथा सहस्या नाम की दो अप्सराएं, तार्क्ष्य एवं अरिष्टनेमि नामक दो यक्ष आप तथा वात नामक दो राक्षस चलते हैं।
खरमास लगने पर क्या करें
राज्यपद की लालसा रखने वाले, बेरोजगार नवयुवकों अथवा अधिकारियों से प्रताडित लोगों को प्रातः सूर्य की आराधना करनी चाहिए।
खरमास को लेकर कई तरह की भ्रांतियां एवं अनेक प्रकार की मान्यताऐं जनमानस में प्रचलित हैं। खरमास का संधि-विच्छेद करने पर ज्ञात होता है, खर यानि गधा और मास मतलब महीना। आइए जानते हैं खरमास में क्या करें क्या न करें।
खरमास की पौराणिक कथा
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