Aaj Chandra grahan hai to Main Chandra grahan per vistar se hindi mein jankari chahta hun Keval Chandra grahan karne ki surya grahan per iske liye aap Ved aur puranon ke udaharanon Ko Le sakte hain aur lekh ki sabji mein 10 se 15000 tak le ja sakte hain ya isase bhi adhik
आज रात भारत में चंद्र ग्रहण लगेगा और यह धार्मिक, वैज्ञानिक व पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। चंद्र ग्रहण की घटना व इसके पीछे के वेद, पुराण, और ज्योतिषीय दृष्टिकोण को विस्तार से हिंदी में जानिए[1][2][3][4][5][6].
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## वैज्ञानिक पक्ष
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ जाती है और वह कुछ समय के लिए आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है[3][4]. जब चंद्रमा पृथ्वी की 'प्रच्छाया' (umbra) में पूरी तरह से ढकता है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं; इसी दौरान चंद्रमा तांबे या लाल रंग का हो जाता है जिसे 'ब्लड मून' कहा जाता है[2][7].
### 2025 का विशेष चंद्र ग्रहण
- समय: 7 सितंबर रात 9:58 बजे से शुरू होकर 8 सितंबर सुबह 1:26 बजे तक रहेगा[2][7][8].
- जगह: भारत के अलग-अलग शहरों में साफ दिखाई देगा जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि[7][2].
- सूतक काल: ग्रहण शुरू होने के 9 घंटे पूर्व (करीब दोपहर 2 बजे से) आरंभ होता है[2][8].
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## वेदों व पुराणों में चंद्र ग्रहण
### वेद
ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद में ग्रहणों का उल्लेख ज्योतिष की दृष्टि से मिलता है। वैदिक ऋषियों ने चंद्र ग्रहण को एक प्राकृतिक खगोलीय प्रक्रिया माना है, जो सूर्य और चंद्रमा की गति व पृथ्वी के सापेक्ष स्थिति के कारण होती है[3].
### पुराण
कई पुराणों में चंद्र ग्रहण का पौराणिक विवरण मिलता है:
1. **राहु-केतु की कथा (सामुद्रिक मंथन)**: जब देवताओं व असुरों ने समुद्र मंथन किया, अमृत निकला। असुर स्वरभानु ने देवता बनके अमृत पी लिया, पर सूर्य-चंद्र ने पहचान कर दी। विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया, सिर 'राहु' बना और धड़ 'केतु'[5][4]. तभी से राहु व केतु सूर्य-चंद्र को खाने का प्रयास करते हैं — इसी को ग्रहण कहा जाता है[9][3].
2. **हरिश्चंद्र की कथा**: गौंतम ऋषि के आश्रम में चंद्र ग्रहण व्रत का पालन कर राजा हरिश्चंद्र ने कष्टों से मुक्ति पाई थी[6].
### धार्मिक विधि, मंत्र, और मान्यताएँ
- ग्रहणकाल में मंत्र जप, गंगा स्नान, दान-पुण्य करना विशेष फलदायक है[3][6].
- चंद्र ग्रहन के समय चंद्र बीज मंत्र (ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः॥) और महामृत्युंजय मंत्र का जप शुभ माना जाता है[6][10].
- ग्रहण के बाद स्नान, घर में गंगाजल छिड़कना, भोजन दान व पुनः ताजा भोजन बनाना चाहिए[6].
### धार्मिक निषेध
- ग्रहण के समय खाना-पीना, पूजा-पाठ, भोज्य पदार्थ ग्रहण करना वर्जित है, विशेषकर सूतक काल में[8][6].
- गर्भवती महिलाओं व वृद्धजनों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
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## ज्योतिष व सूतक काल
वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र ग्रहण का असर भावनाओं, मानसिकता और परिवार पर पड़ता है, क्योंकि चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है[11][12][3]. यह समय आत्म-शुद्धि, साधना, ध्यान, एवं मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ है — विशेषकर जिनकी राशि पर ग्रहण असर करता है[13][11].
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## सूर्य ग्रहण का संक्षिप्त उल्लेख
सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी-सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य का प्रकाश छिप जाता है। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य को नंगी आँखों से देखना हानिकारक है, सुरक्षा चश्मे का उपयोग आवश्यक होता है[2][4]. चंद्र ग्रहण के समय सुरक्षा की आवश्यकता नहीं पड़ती[2].
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## सारांश एवं महत्वपूर्ण तथ्य
- **चंद्र ग्रहण** प्राकृतिक तथा पौराणिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है[3][5][4].
- **वेद-पुराण** में इसके खगोलीय व दार्शनिक पक्ष उल्लेखित हैं[3][5].
- **ग्रहणकाल** में स्नान, जप, ध्यान, एवं दान-पुण्य का महत्व अधिक है[6][3].
- **राहु-केतु** की कथा भारतीय ग्रहण विज्ञान की मूल परंपरा है[5][4][9].
- सूतक काल के नियम पालन करें[8][6].
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इस प्रकार चंद्र ग्रहण एक गूढ़, पौराणिक, वैज्ञानिक व धार्मिक घटना है जो भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रखती है, और वेद-पुराणों की कहानियाँ इसके गूढ़ अर्थ को विशद रूप में प्रस्तुत करती हैं[3][5][6][4][9][2][7][8][10].
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